कुशीनगर: मानव शरीर मिट्टी का पुतला है, लेकिन जब इसमें राम नाम का रस मिल जाता है तो यह देह कंचन से भी अधिक मूल्यवान हो जाता है। जीवन में सुख, शांति व सफलता के लिए राम का आश्रय जरूरी है। धर्म और संस्कृति प्राण वायु हैं। दुर्लभ मनुष्य जीवन केवल खाने-पीने और सोने के लिए नहीं मिला है।
यह बातें मानस मर्मज्ञ दीदी स्मिता वत्स ने कही। वे बुधवार को महादेव मंदिर पांडेय मुन्नी पट्टी में आयोजित रुद्र महायज्ञ में कथा का रसपान करा रही थीं। प्रभु श्रीराम के नाम के महत्व की चर्चा करते कहा कि मात्र कथा सुनने से भक्ति प्राप्त नहीं होती। इसके लिए स्वयं को उस अनुरूप बनाना पड़ता है। राम कथा आत्मा को उसके मूल तत्व परमात्मा से जोड़ परम आनंद देती है। कथा का शुभारंभ काशी से आए आचार्य पंडित हरिकेश पांडेय ने किया। व्यासपीठ का पूजन मुख्य यजमान दूधनाथ गुप्ता ने किया। अनूप राय, मनोज श्रीवास्तव, ब्रजेश राय, राजा मिश्रा, मन्नू राय, आनंद राय, सुभाष यादव, प्रदीप लाल श्रीवास्तव, धनश्याम गुप्ता, मुन्ना राय, राजेश लाल श्रीवास्तव, जितेंद्र श्रीवास्तव, बृज किशोर पाठक आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।